कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर चल रहे लॉकडाउन से जिले के 13 हजार से अधिक उद्यम प्रभावित हैं लेकिन इनकी परेशानी कोरोना के बाद भी लंबे समय तक रहने वाली है। पिछले दिनों बड़ी संख्या में श्रमिकों के पलायन का असर उद्योगों पर रहेगा। उद्योग जगत में इस वक्त आने वाली परेशानियों को लेकर सबसे ज्यादा चिंता है। इस बीच उद्यमियों ने सरकार से उद्योगों के लिए विशेष पैकेज की मांग भी की है। दिल्ली एनसीआर से श्रमिकों के पलायन से जिला गाजियाबाद भी अछूता नहीं है। सभी औद्योगिक क्षेत्रों से लगभग डेढ़ लाख श्रमिक अपने घर लौट चुके हैं। शेष रह गए श्रमिकों को सरकारी निर्देशों के बाद उद्यमी और बिल्डर साधने की तैयारी में है। इनको जागरूक भी किया जा रहा है। इस बीच उद्यमियों ने अपनी समस्याओं को लेकर भी सवाल किए हैं। साउथ साइट जीटी रोड इंडस्ट्रियल एरिया में एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रियल मैन्युफेक्चर्स के महासचिव डीके गुप्ता ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा आदेश जारी किया गया है कि सभी उद्योगो के स्वामियों को अपने समस्त कर्मचारियों को बंदी के दौरान के वेतन का भुगतान पूर्ण रूप से करना होगा। इस निर्देश के बाद उद्योगों की चिंता और बढ़ी है, हमेशा देखा गया है कि बिना जमीनी हकीकत जाने सरकार उद्यमियों और व्यापारियों पर अपने ऐसे आदेश थोप देती है, जिसको पूर्णता से पालन करना मुश्किल होता है। उद्यमी या व्यापारी का पैसा अधिकतर बाजार में होता है। स्टॉक का काफी बड़ा हिस्सा उधारी का होता है और जो थोड़ा बहुत हाथ में होता है। उससे वह व्यापार की रोजमर्रा की चीजों पूरी करता है। उन्होंने बताया कि बंदी से उद्योगों के सामने आने वाली दिक्कतों में बंदी के दौरान सभी कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करना, जबकि ये नहीं मालूम ये बंदी कब तक चलेगी। इसके अलावा जिन इकाइयों के पास वेतन देने के लिए पर्याप्त साधन फिलहाल नहीं है, उन पर क्या दंड है या ऐसी इकाइयों को कोई छूट है। जिन इकाइयों ने बैंक से अपने उद्योगों को चलाने के लिए लोन ले रखा है, वह बंदी के दौरान का ब्याज कैसे इस मंदी के माहौल में भुगतान कर पाएंगे। एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रीतपाल सिंह ने बताया कि उद्योगों में काम कर रही लेबर और कर्मचारियों के पलायन से बंदी समाप्त होने के बाद उद्योगों को दोबारा अपने बजूद में आने के लिए पूरी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को योजना पर अभी से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बंदी के दौरान का बिजली के बिल का भुगतान माफ कराना चाहिए। जीएसटी व अन्य कर जो व्यापारियों को देने है, इसके लिए भी योजना तैयार हो।
कोरोना के बाद लंबे समय तक प्रभावित रहेंगे उद्योग